पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥ शंकर हो संकट के नाशन। मंगल कारण विघ्न विनाशन॥ माँ री माँ वो डमरू वाला, तन पे पहने मृग की छाला। अंग गौर शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन छार लगाये॥ शिव के रहते कैसी चिंता, साथ रहे प्रभु आठों याम तुरत https://jaibhole.co.in/home/Shree-Shiv-Chalisa