दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं । सेवक स्तुति करत सदाहीं ॥ एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई॥ तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥ राम दुआरे तुम रखवारे। होत न आज्ञा बिनु पैसारे।। नमो नमो जय नमो शिवाय। सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥ बिद्यावान https://shivchalisas.com